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सूखे में भी बाँस वनों के / राजकुमारी रश्मि

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सूखे में भी बाँस वनों के,
चेहरे रहे हरे.

      (१)
टाटा करती दूर हो गयी,
खेतों से हरियाली.
सिर पर हाथ धरे बैठे हैं,
घर में लोटा थाली.
चकला, बेलन और रसोई,
आंसू रहे भरे.

      (२)
सूखा कुआँ बंधे कैदी सा,
गुमसुम पड़ा रहा.
सूरज हन्टर लेकर उसके,
सिर पर खड़ा रहा.
पपड़ाये होठों के सपने
मन में रहे धरे

      (३)
डरे हुए पंछी सी आंखें,
नभ को ताक़ रही .
पकडे फूँस खिसकती मेढे,
बगलें झाँक रही.
चरवाहे चौपाए दोनों,
जपते हरे - हरे.