भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सेन कामकी लायो / रसिक दास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसिक दास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} <po...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:19, 20 मई 2014 के समय का अवतरण

सेन कामकी लायो,सो सावन आयो।
चल सखी झूलिये सुरंग हिंडोरे, कीजे श्याम मन भायो॥१॥
हाव भाव के खंभ मनोहर, कचघन गगन सुहायो।
काम नृपति वृषभान नंदिनी, रसिक रायवर पायो॥२॥