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"सौ चांद भी चमकेंगे / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर

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सौ चांद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
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तुम आये तो इस रात की औक़ात बनेगी
  
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उन से यही कह आये कि हम अब न मिलेंगे
तुम आये तो इस रात की औक़ात बनेगी <br><br>
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ऐ इश्क़! हमारी न तेरे साथ बनेगी <br><br>
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कुछ और निखर ले तो तिलिस्मात बनेगी <br><br>
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जब बैठ के सोचेंगे तो कुछ बात बनेगी  
 
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ये क्या के बढ़ते चलो बढ़ते चलो आगे <br>
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जब बैठ के सोचेंगे तो कुछ बात बनेगी <br><br>
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10:24, 14 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

सौ चांद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आये तो इस रात की औक़ात बनेगी

उन से यही कह आये कि हम अब न मिलेंगे
आख़िर कोई तक़रीब-ए-मुलाक़ात बनेगी

ये हम से न होगा कि किसी एक को चाहें
ऐ इश्क़! हमारी न तेरे साथ बनेगी

हैरत कदा-ए-हुस्न कहाँ है अभी दुनिया
कुछ और निखर ले तो तिलिस्मात बनेगी

ये क्या के बढ़ते चलो बढ़ते चलो आगे
जब बैठ के सोचेंगे तो कुछ बात बनेगी