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हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय / गुलाब खंडेलवाल

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हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय
सुरों को हाथ लगाने में साज़ टूट न जाय

जो देखने से ही पड़ता है आइने में बाल
लो, देखने से भी बाज़ आये आज, टूट न जाय

है दिल की ज़िद तो यही, ख़ुद को भी लुटा के रहे
नज़र को ध्यान है इसका कि लाज टूट न जाय

हदें तो प्यार ने दुनिया की तोड़ दी हैं, मगर
बहुत हैं आप भी नाज़ुकमिज़ाज, टूट न जाय

गुलाब! बाग़ में फूलों के बादशाह हो तुम
धरा है सर पे जो काँटों का ताज, टूट न जाय