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"हमारे शौक के आंसू दो / जॉन एलिया" के अवतरणों में अंतर
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है निस-ए-शब वो दिवाना अभी तक घर नहीं आया | है निस-ए-शब वो दिवाना अभी तक घर नहीं आया | ||
किसी से चन्दनी रातों का किस्सा छिड़ गया होगा | किसी से चन्दनी रातों का किस्सा छिड़ गया होगा | ||
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12:56, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
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हमारे शौक के आंसू दो, खुशहाल होने तक
तुम्हारे आरज़ू केसो का सौदा हो चुका होगा
अब ये शोर-ए-हाव हूँ सुना है सारबानो ने
वो पागल काफिले की ज़िद में पीछे रह गया होगा
है निस-ए-शब वो दिवाना अभी तक घर नहीं आया
किसी से चन्दनी रातों का किस्सा छिड़ गया होगा