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"हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात
 
हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात
खुद अपने आप को ठगते रहे हैं सारी रात
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ख़ुद अपने आप को ठगते रहे हैं सारी रात
  
 
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ये क्या हुआ कि सुबह उनकी एक झलक न मिली,
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कभी तो पायेंगे काग़ज़ गुलाब की रंगत
 
कभी तो पायेंगे काग़ज़ गुलाब की रंगत
हम अपने खून से रंगते रहे हैं सारी रात
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हम अपने ख़ून से रंगते रहे हैं सारी रात
  
 
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03:32, 7 जुलाई 2011 का अवतरण


हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात
ख़ुद अपने आप को ठगते रहे हैं सारी रात

ये क्या हुआ कि सुबह उनकी एक झलक न मिली,
गले से आके जो लगते रहे हैं सारी रात!

धधक के बुझ भी गए हों, हम उनसे अच्छे हैं
जो बेजले ही सुलगते रहे हैं सारी रात

हज़ार बार जिगर में समा चुके हैं, मगर
वे अजनबी से ही लगते रहे हैं सारी रात

कभी तो पायेंगे काग़ज़ गुलाब की रंगत
हम अपने ख़ून से रंगते रहे हैं सारी रात