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"हम उपमा देकर ठगे गए / प्रेमशंकर रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर

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ऐसे लगे नए
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धरती के भाग जगे जैसे!
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कल्पित महिमा गई हमने
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सब आभासें प्रेम-पेज
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कहीं नहीं था अपना कोई
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माँ ललिया, हैं सभी सगे!
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किसी और ने नहीं छाला
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हम अपने से ही छले गए
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कहाँ खुदाई जान सके हम
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उपमा देकर ठगे गए!

12:40, 3 अगस्त 2010 के समय का अवतरण


हम उपमा देकर ठगे गए

हम अपने को छोड़
अपने से बाहर चले गए!

अपने कल्पित सच हमको
ऐसे लगे नए
धरती के भाग जगे जैसे!

कल्पित महिमा गई हमने
सब आभासें प्रेम-पेज
कहीं नहीं था अपना कोई
माँ ललिया, हैं सभी सगे!

किसी और ने नहीं छाला
हम अपने से ही छले गए
कहाँ खुदाई जान सके हम
उपमा देकर ठगे गए!