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"हम हिन्दुस्तानी / छोड़ो कल की बातें" के अवतरणों में अंतर

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16:02, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण

रचनाकार: प्रेम धवन                 

छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2

आज पुरानी जंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंजिल को छोड़ चुके हैं
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज जमाना
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2

आओ मेहनत को अपना ईमान बनायें
अपने हाथों को अपना भगवान बनायें
राम की इस धरती को गौतम की भूमि को
सपनों से भी प्यारा हिन्दुस्तान बनायें
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2

हर जर्रा है मोती, आंख उठाकर देखो
माटी में सोना है, हाथ बढ़ाकर देखो
सोने की ये गंगा है, चांदी की यमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2