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"हर जी का हयात है / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर

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निकले है जी उसी के लिए, कायनात का
 
निकले है जी उसी के लिए, कायनात का
  
बिखरे है जुल्‍फ, उस रूख-ए-आलम फरोज पर
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वर्न:, बनाव होवे न दिन और रात का
 
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उसके फरोग-ए-हुस्‍न से, झमके है सब में नूर
 
उसके फरोग-ए-हुस्‍न से, झमके है सब में नूर
शम्-ए-हरम हो या कि दिया सोमनात का
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क्‍या मीर तुझ को नाम: सियाही की फिक्र है
 
क्‍या मीर तुझ को नाम: सियाही की फिक्र है
 
खत्‍म-ए-रूसुल सा शख्‍स है, जामिन नजात का
 
खत्‍म-ए-रूसुल सा शख्‍स है, जामिन नजात का

00:45, 30 मई 2009 का अवतरण

हर जी हयात का, है सबब जो हयात का
निकले है जी उसी के लिए, कायनात का

बिखरे हैं जुल्‍फ, उस रूख-ए-आलम फरोज पर
वर्न:, बनाव होवे न दिन और रात का

उसके फरोग-ए-हुस्‍न से, झमके है सब में नूर
शम्म-ए-हरम हो या कि दिया सोमनात का

क्‍या मीर तुझ को नाम: सियाही की फिक्र है
खत्‍म-ए-रूसुल सा शख्‍स है, जामिन नजात का