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हिन्दी / राजेश चेतन

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जैसे अँग्रेज़ी ही सब कुछ
इसके बिना नही कुछ जैसे
रूस, चीन, जापान, जर्मनी
फिर सबसे आगे हैं कैसे ?

छोटे-छोटे देश गर्व से
अपनी भाषा बोल रहे हैं
एक अभागे हम हैं ऐसे
हिन्दी को कम तोल रहे हैं

सौ करोड़ की इस भाषा का
दुनिया कब सम्मान करेगी
कब भारत की गली-गली से
अँग्रेज़ी प्रस्थान करेगी

हम अँग्रेज़ी को तज देंगे
आओ यह सकल्प उठाएँ
हिन्द निवासी, हिन्दी वालो
आओ हिन्दी को अपनाएँ