भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हिम साफ़ कर रहे हैं मज़दूर / ओसिप मंदेलश्ताम

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:22, 12 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम |संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ओसिप मंदेलश्ताम  » संग्रह: तेरे क़दमों का संगीत
»  हिम साफ़ कर रहे हैं मज़दूर

शान्त उपनगरों में

बेलचों से

हिम साफ़ कर रहे हैं मज़दूर

और मैं एक राहगीर

गुज़र रहा हूँ वहाँ से

कुछ दढ़ियल पुरुषों के साथ


सिर पर स्कार्फ़ लपेटे

स्त्रियाँ झिलमिला रही हैं

आवारा कुत्ते चिंचोड़ रहे हैं हड्डियाँ

और ढाबों और घरों में

उबल रहे हैं

रंग-बिरंगे समोवार


(रचनाकाल :1913)