भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हे कचनार कदंब अनार रसाल तमाल गुलाल सुपारी / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:24, 11 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हे कचनार कदंब अनार रसाल तमाल गुलाल सुपारी।
अमला अमरूध के चूत सभे ओलतान वितान झुके सभ डारी।
जामुन कईत करील तुहूँ कदलीफल श्रीफल ऊँच निहारी।
द्विज दास महेन्द्र से साँची कहऽ कहीं देखे हो तू मिथिलेश कुमारी।