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"है अंग-अंग तेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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हैं अंग अंग तेरे सौ गीत सौ ग़ज़ल।
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है अंग-अंग तेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
पढ़ता हूँ मुँह अँधेरे सौ गीत सौ ग़ज़ल।
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पढ़ता हूँ कर अँधेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
  
अलफ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहे,
+
देखा है तुझको जबसे मेरे मन के आसपास,
लिख दे बदन पे मेरे सौ गीत सौ ग़ज़ल।
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डाले हुए हैं डेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
  
तुझपे बस एक मिसरा कह दूँ इसीलिए,
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अल्फ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहे,
मन सुब्ह-ओ-शाम फेरे सौ गीत सौ ग़ज़ल।
+
कर दे बदन ये मेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
  
जुल्फ़ें समझ के नागिन लेकर चले गये,
+
नागिन समझ के ज़ुल्फ़ें लेकर गया, सो अब,
अब गा रहे सपेरे सौ गीत सौ ग़ज़ल।  
+
गाता फिरे सपेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
  
देखा है तुझको जब से तब से वो मौलवी
+
आया जो तेरे घर तो सब छोड़छाड़ कर,
जपता है नित सवेरे सौ गीत सौ ग़ज़ल।
+
लेकर गया लुटेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
 
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22:40, 30 नवम्बर 2022 का अवतरण

है अंग-अंग तेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
पढ़ता हूँ कर अँधेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।

देखा है तुझको जबसे मेरे मन के आसपास,
डाले हुए हैं डेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।

अल्फ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहे,
कर दे बदन ये मेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।

नागिन समझ के ज़ुल्फ़ें लेकर गया, सो अब,
गाता फिरे सपेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।

आया जो तेरे घर तो सब छोड़छाड़ कर,
लेकर गया लुटेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।