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"है अंग-अंग तेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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− | + | देखा है तुझको जबसे मेरे मन के आसपास, | |
− | + | डाले हुए हैं डेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल। | |
− | + | अल्फ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहे, | |
− | + | कर दे बदन ये मेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल। | |
− | + | नागिन समझ के ज़ुल्फ़ें लेकर गया, सो अब, | |
− | अब | + | गाता फिरे सपेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल। |
− | + | आया जो तेरे घर तो सब छोड़छाड़ कर, | |
− | + | लेकर गया लुटेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल। | |
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22:40, 30 नवम्बर 2022 का अवतरण
है अंग-अंग तेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
पढ़ता हूँ कर अँधेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
देखा है तुझको जबसे मेरे मन के आसपास,
डाले हुए हैं डेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
अल्फ़ाज़ तेरा लब छू अश’आर बन रहे,
कर दे बदन ये मेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
नागिन समझ के ज़ुल्फ़ें लेकर गया, सो अब,
गाता फिरे सपेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।
आया जो तेरे घर तो सब छोड़छाड़ कर,
लेकर गया लुटेरा सौ गीत, सौ ग़ज़ल।