भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

है बहुत डरपोक वो लेकिन है सत्ता हाथ में / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:29, 16 नवम्बर 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

है बहुत डरपोक वो लेकिन है सत्ता हाथ में
मुँह छुपा रक्खा है पर तिरशूल, डंडा हाथ में

आप उसके खौफ से शायद अभी वाकिफ़ नहीं
चीखता है ले के वो पूरा इलाका हाथ में

उस तरफ़ नेता हमारे मौज मस्ती कर रहे
इस तरफ़ जनता खड़ी लेकर कटोरा हाथ में

कैफ़ियत भी जान लें उस फ़ितरती इन्सान की
बोलता है झूठ पर परचम है सच का हाथ में

आप धोखे में रहे तो आप मारे जाएंगे
आ रहा जल्लाद वो लेकर के फंदा हाथ में

लोग हैं मजबूर करने को बग़ावत क्या करें
हुक्मरां बहरा तो फिर जनता के है क्या हाथ में