भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होजी नणदोई आया पावणा / मालवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:26, 31 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

होजी नणदोई आया पावणा
तमारी कई-कई करूँ मनवार
नणदोई जी प्यारा आयाजी म्हारा यां पावणा
होजी तातो पाणी तो धरवाई देती
ना पीड़ो गयो परदेस नणदोई जी
रोटी तो बणाय देती
चूले लगाई गार नणदोई जी
झारी तो भरवाया देती
दासी रो दूखे हाथ नणदोई जी
ढाल्यो तो ढ़लवाय देती
म्हारा बाईजी गया रिसाय नणदोई जी
होजी ओरा आजो पावणा
तमारी फिर के करांगा मनवार
नणदोई जी प्यारा आयाजी म्हारा यां पावणा