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हौ एत्तेक बात जखनी हिनपति सुनैय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एत्तेक बात जखनी हिनपति सुनैय
हा मनमे विचार हिनपति मलिया करैय
जाति दुसाध राजा कहबैय
केना के चोरबा बनि पोखरि एलैय
तहि पर देवता नरूपिया कहैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबौ
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हम ही पहिने पोखरिमे स्लान केलीयै
सेन्दुर खोलि पोखरिमे खसलै
हम नइ जनलीयै हा सेन्दुरबा खुजि गेलै हौ
से तोहर हम गलती हौ राजा
हम माने छी
एकर गलती राजा मानै छी हौ
तखनी राजा बोलै छै
सुन हो देवता देवता नरूपिया
हमरा संगे सत तहु कऽ दय।
हौ हमरा संगे सत देवता तहुँ करीयौ।
तब हौ देवता छोड़ि हम दयबह
आ भागि के देवता महिसौथा जयबह
एत्तेक बात तब राजा आइ कहैय यौ।।
हौ छेलै यौ नरूपिया देवता पर भगता
आ आगू आइ पाछु नरूपिया सोचैय
राजा संगेमे सत करै छै
एक सत दू सत ब्रह्मा विष्णु सत
सुनिलय हौ सुनिलय राजा सुनिलय
हौ जे तोहर कहल नै राजा करीतह
अस्सी कोस नरकमे गिरतै
सतयुग छीयै कलयुग एतै
कलयुगमे नाम नै फेरो चलतै
आ तोरा संगमे सतबध हम कऽ देलीयै यौ।
तखनी नरूपिया विचार नै केलकै
आ हित बनाके हौ दुश्मन सधहैय।।
आ जब जब हौ सत नरूपिया केलकै
तब जवाब हीनपति मलिया दै छै
सुनलय हौ सुनलय हौ राजा नरूपिया
दिल के बात हम तोरा कहै छी
हमरा संगमे सत तहुँ केलहऽ।
अहौ अग्निबान तहु बांग लऽलीयै हौ
हा एत्तेक बात नरूपिया सुनै छै
मने मन विचार करै छै
हाय नारायण हाय विधाता
हौ ईसबर जी जुलुम भऽ गेल
केना जेलमे हौ देवता पड़तै
केना समधिया महिसौथा हय जयतै हौ।।