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ॾियारी / लीला मामताणी

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वाह वाह जी ॾियारी आई
खु़शीयुनि संदी हीअ ॾियारी आई
घर घर में आ खू़ब सफ़ाई
शहर सॼे में रौनक़ छाई
वाह वाह जी ॾियारी आई

रुठल परचंदा विछड़िया मिलंदा
पाण में गॾिजी गद्गद थींदा
खू़ब फटाका फिरणियूं ॿारे
आकाश में उॾाईंदा हवाई
वाह वाह जी अॼुॾियारी आई

नंढिड़ा वॾिड़ा गदगद थींदा
हिक ॿिए खे वाधायूं ॾींदा
नवां नवां सभु कपड़ा पाए
खाईंदा हलवो मिठाई
वाह वाह जी ॾियारी आई।