भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँखें / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:27, 22 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह=उड़न खटोले आ / रमेश तैलंग }} {{KKCa…)
तारे नील गगन की आँखें ।
नावें किसी नदी की आँखें ।
आँख दिये की नन्ही बाती ।
अँधे की आँखें हैं लाठी ।
पात्तीं हैं आँखें डालों की ।
दाने हैं आँखें बालों की
बेटे अपनी माँ की आँखें ।
सूरज-चंद्र जहाँ की आँखें ।