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172 / हीर / वारिस शाह

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चूचके फेर के गंढ<ref>विवाह की भाजी</ref> सदाए घले आबन चौधरी सारयां चकरां दे
हथ देह रुपया पले पाए शकर सवाल पोंदे छोहरां<ref>लड़कियां</ref> बकरां<ref>कुंवारी</ref> दे
कहया लागियां सन नूं सन<ref>बराबर की टक्कर</ref> मिलया तेरा साक होया नाल ठकरां<ref>अमीर, जमींदार</ref> दे
धरया ढोल जटेटियां देहुं वेलां छने लिऔंदियां आनयां शकरां दे
रांझ हीर सुनया दलगीर होए दोवें देण गाली नाल अकरां<ref>क्रोध</ref> दे

शब्दार्थ
<references/>