भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अजब बात है देखो क्या चाहते हैं / श्याम सुन्दर नंदा नूर
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:45, 29 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुन्दर नंदा नूर |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अजब बात है देखो क्या चाहते हैं।
जफा करके भी वो वफ़ा चाहते है।
ज़माने में कोई भला काम कर लें
जमाने का हम तो भला चाहते हैं।
कोई सरमदी गीत हमसे लिखा दे
यही तुझ से हम ऐ खुदा चाहते हैं।
तेरे दर पे बैठे हैं धूनी रमाए
महब्बत भरी इक सदा चाहते हैं।
है ऐ नूर हम तो महब्बत के बन्दे
नही हम किसी का बुरा चाहते हैं।