भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अदृश्य चोरों से सावधान / चन्द्रमोहन रंजीत सिंह

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:21, 24 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रमोहन रंजीत सिंह |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तेरे घर में घुस गए चोर प्यारे अँखिया खोला ना।
कैसा सुन्दर महल बना है शोभा अपरम्पार।
सूरज चाँद सितारे इसमें हैं इसमें नौ द्वार।
पृथ्वी जल आकाश पवन और अग्नि तत्व है सार।
इन पाँचों से महल बना है ज्ञानी करो विचार।
काम, क्रोध मद लोभ मोह और मत्सर हैं छह चोर।
निर्भय होकर घुसे हैं घर में तुझे समझ कमजोर।
सत्य अहिंसा दया क्षमा है विद्या है दम धन तोर।
लूट रहे अनमोल रतन को तू नहीं करता शोर।
योग ज्ञान विज्ञान शस्त्र को लीजे वेग उठाए।
इन अदृश्य चोरों को जल्दी घर से देहु भगाय।
तभी शान्ती पावोगे प्यारे जनम सफल हो जाए
पड़े न अन्त समय पछताना कीजै यही उपाय।