भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ई केन्होॅ उत्सव / अभिनंदन

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:58, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिनंदन |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> हो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हो के छेलै
जे बही गेलै
कोशी के महाप्रलय में
आपने लोग छेलै
आपने खून
हौ के छेकै
जे भांसी गेलोॅ लोगोॅ के
हल्ला उड़ाय छै
कोठरी में लोर बहाय छै
आकाशोॅ में रोटी
उड़ावै छै
कुच्छू पानी में गिरावै छै
अखबारोॅ में फोटू छपवावै छै
हौ के छेकै ?
हम्में नै जानै छियै
जेना कि कोसी में भाँसतेॅ लोग
नै जानतें होतै
आपनोॅ जिनगी
आकि मिरतू केॅ
हाय महाप्रलय पर
लोकतंत्रा के ई केन्होॅ उत्सव ।