भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक जगह / महेश वर्मा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:08, 6 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश वर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> उदासी एक जगह है जै…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उदासी एक जगह है जैसे कि ये शाम
जहाँ अक्सर मैं छूट जाता हूँ ।
मुश्किल है बाहर का कुछ देखना-सुनना ।

उदासी की बात सुनकर
दोस्त बताते हैं नज़दीक के झरनों के पते
जहाँ बीने जा सकते हैं पारिवारिक क़िस्म के सुख ।

पता नहीं ये अँधेरा है,
या नींद,
या सपना,
जिस पर
गिरती रहती है झरने-सी उदासी ।

मेरी हर याँत्रिक चालाकी के विरुद्ध
मेरी अनिद्रा, मेरा प्रत्युत्तर है मुझको इस समय ।
और एक जगह है यह अनिद्रा भी, जिसके भीतर सोकर,
नींद भूल गई बाहर का संसार ।

पत्थर हो चुके इसको खोजने निकले राजकुमार ।