भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओ जीवन की गतिमय सरिता / गीत गुंजन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:48, 12 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=गीत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अग्रसर सदा रह निज पथ पर
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥
ऊबड़ खाबड़ कंकर पत्थर
उथली धरती गहरे गह्वर।
ले तू वसुधा के दोष छुपा
कर सुधार लेप इन पर सत्त्वर।
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥
बढ़ती जा ले आतुर अंतर
गतिशील जगत की राहों पर।
मधुराशा प्रिय आलिंगन की
धर धीर पीर से भर अंतर।
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥
आहट हो सुख के पहरों पर
सूने कर्णों के कुहरों पर।
बस एक बूँद भर अमृत की
टपका दे प्यासे अधरों पर।
ओ जीवन की गतिमय सरिता॥