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कति दिन बिते कति रात ढले / गीता त्रिपाठी

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कति दिन बिते कति रात ढले
प्रतीक्षाको दियो कति साँझ जले
 
बलिरहू तिमी साँझमा उज्यालै
अँध्यारो बनी म बिथोल्न नआउँला
कतै आँधीहुरीले ढाल्न खोजे
म तिम्रो सहारा कतैबाट आउँला
कति फूल फुले कति पत्र झरे
प्रतीक्षाको दियो कति साँझ जले
 
तिमी जति टाढा भए पनि दिनै
झनै आउँछ नजिक यादगारी साँझ
म भुल्न खोजेर ओठले त सकुँला
तर तिम्रो नाम छ मुटुको माझ
साँझकै पर्खाइमा कति हार मिले
प्रतीक्षाको दियो कति साँझ जले