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किया उसने प्रेम वो बुराई हो गई / प्रदीप कुमार

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आज फिर वह पराई हो गई
किया उसने प्रेम वह बुराई हो गई
मां जो लाड करते-करते
थकती नहीं थी रात-भर।
शाम तक जो लड़ बैठती
अपनी बेटी के लिए राम तक
बाप पढ़ता था तारीफ़ों के कशीदें
जिसके जिले भर में प्रथम आने पर,
और भाई
जिसको अपना हिस्सा बांट देती
थोड़ी भूख जताने पर
क्यूं समाज मूक बना
पाबंदी क्यूं लगी उसके खिलखिलाने पर
रिश्ते झुठला गए सभी
उसकी एक बात मनवाने पर
क्यों किसी का दिल न पसीजा
उसके जहर खाने पर
खून का रंग हरा हो गया
रिश्ते सारे बिखर गए
ममता धराशायी हो गई
जब थोड़ी जग हंसाई हो गई
आज फिर वह पराई हो गई
किया उसने प्रेम वह बुराई हो गई॥