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कुड़मी / मीरा हिंगोराणी
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केॾी महनत करे थो कुड़मी,
सॼो ॾींहु ॻहे थो कुड़मी।
कॾहिं न सुमहे सुख जी निंड,
केॾी कश्कत करे थो कुड़मी।
खाई रुखी-सुखी रोटी,
सभजो पेटुभरे थो कुड़मी।
भुल हुजे तत्ती यां थघी,
खेतनि खे खेड़े थो कुड़मी।
पोखे थो धरतीअ में ॿिजु,
सौग़ात सोन जी ॾे थो कुड़मी।
केॾी महनत करे थो कुड़मी,