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कुण्डलिया / शम्भुनाथ मिश्र

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समधिन-समधिन

समधिन बजली हाथ धय अयलहुँ आइ नियारि
छल रखैत बेटी हमर सब किछु सैँति-सम्हारि
सब किछु सैँति-सम्हारि रखै छल-आङनकेँ
चमचम कय चमकाय देत निज पतिक भवनकेँ
समधिन बजली कोना कहू, चुलहा फराक छै
कनियाँकेर व्यवहार देखि सब क्यौ अवाक छै

पति-पत्नी

पत्नी बजली बिगड़ि कय हम छी बहुत निराश
कूलर टी.भी. फ्रिज नहि कोना करब हम बास?
कोना करब हम बास बजायब अपन पिताकेँ
कोना रहै छी व्यक्त करब सब मनक व्यथाकेँ
आबहु होउ फराक कोन अप्पन अछि कुड़िया
बूढ़ा जाथु दलान कोन गाड़ल छनि हुड़िया

पिता-पुत्र

पिता कहल निज पुत्रसँ, कहब न उचित लगैछ
पत्निक नामोच्चारकेँ शास्त्र निषेध करैछ
शास्त्र निषेध करैछ लेब पत्नीक नामकेँ
भोरे-भोरे हिंसक पशु आ छोट गामकेँ
पुत्र कहल हे पूज्य पिताजी व्यर्थ बात थिक
पत्नी नामक माला आजुक यज्ञ-जाप थिक

हो अपैत वासन जखन, सेहो ऐँठे थीक
जखन दुनू ऐँ ठे थीकै, अन्तर तखन कथीक?
अन्तर तखन कथीक पुछल निज पुत्र पितासँ
झूठ टिटम्भा, व्यर्थ मरै छी अपन व्यथासँ
पुत्र कहल जे आब पिताजी देखू दुनियाँ
पहिले दिनसँ संग-संग खाइत छै कनियाँ

हम सब छी पण्डित कुलक थीक विचारक बात
बहुआसिन बाजारमे लागल बड़ आघात
लागल बड़ आघात जखन हम असगर देखल
आधा देह उधार ताहि पर ओढ़नी फेकल
भारतीय परिधान तथा लज्जा थिक भूषण
कहल पुत्र हे तात सगर बढ़ि रहल प्रदूषण

पुतहुकेर उक्ति

भाषण अपने छै छला पुतहु हमर बड़ नीक
पुत्रवधू बेटी बनलि चिन्ता तखन कथीक?
चिन्ता तखन कथीक जखन हम स्वयं कमौआ
श्रीमतीक गरजन पर धीरे बाजथि बौआ
आयल सासुरसँ न ठेकनगर गहना गुरिया
तखने जड़ल कपार जिबैए बुढबा-बुढ़िया

वरक बाप

वरक बाप भाखै छला बेटा अछि बड़ सन्त
होयथिन जनिक जमाय से होयताह अति श्रीमन्त
होयता से श्रीमन्त जखन कन्या घर अयथिन
घरक व्यवस्था देखि घूरि नैहर नहि जयथिन
तखनै क्यौ कहलक छनि बेटा बड़ धुरफन्दी
कयने छनि कत काण्ड भेल छनि घेराबन्दी

पिता-पुत्री

कोरपच्छू बेटी हमर बच्चे सँ बुधियारि
करबै एकर वियाह हम देखब आँखि पसारि
देखब आँखि पसारि करब नहि हम देहातमे
बाहर नहि अछि दैत पैर रौदो बसातमे
तखने बजलै फोन ताहिपर बाजलि मुनियाँ
पप्पा! रहू निचैन, बसौलहुँ हम नव दुनियाँ

सासु-पुतहू

सासु कहै छलथिन किए होइछ एते अबेर
स्वस्थ रहब तखने जखन सुति कऽ उठब सबेर
सुति कऽ उठब सबेर सम्हारब घरक गृहस्थी
बुझब घरक सब बात ससूरक की छनि हस्ती
बजली कनियाँ अय माँ सब हमरा अछि सीखल
कयलनि मूड खराब पता नहि की अछि लीखल

साड़ी पहिरक धरि न अछि भेल अहाँकेँ लूरि
एहिठाम करबे करब हमरो सबकेँ दूरि
हमरो सबकेँ दूरि करब सलवार पहिरि कऽ
ककरो मुँह करबैक बन्द हम सब की कहि कऽ
कनियाँ बजली अय माँ हिनका की हम कहियनि
बेटे तमसा जयथिन संग न भोजन करियनि

पुतहु हमर लक्ष्मी सदृश करइत छली बड़ाइ
लक्ष्मीसँ करइछ किए कोनहुँ सासु लड़ाइ
लड़ि कऽ कोनहुँ सासु दूरि करइछ अपनाकेँ
कयलनि बौआ, कनिया पूर मनक सपनाकेँ
बजली कनियाँ बौआ हिनक छथिन बौआयल
छोड़थु निज अधिकार पाइसँ छनि तौलायल

ननदि-भाउज

नैहर अबितहि भाउजिकेँ हलसिलेल निज कोर
बजलहुँ अय भौजी कहू मोन किए अछि घोर
मोन किए अछि घोर संगमे भगिना आयल
कजरि-सेदाइ बला रखनहि छी एखनहुँ पायल
बजली भौजी- भैया छथि बाहरमे बैसल
करय पड़त ओरियान हृदयमे धड़कन पैसल

कूकर ओ लोहिया

अगल बगलमे छल चढ़ल कूकर लोहिया संग
कूकर बाजल देख ने केहन लगै छौ रंग
केहन लगै छौ रंग तऽर उप्पर छौ कारी
तोँ चपरासी, हम तोहर हाकिम सरकारी
लोहिया बाजल रे कूकर ‘ब्यूटी’ देखबै छेँ
तेँ रहि रहि कऽ छने छने सीटी बजबै छैँ