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कृष्ण हिंडोले बहना मेरी पड़ गये जी / ब्रजभाषा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कृष्ण हिंडोले बहना मेरी पड़ गये जी,
ऐजी कोई आय रही अजब बहार॥ 1॥
सावन महीना अधिक सुहावनौ जी,
ऐजी जामें तीजन कौ त्यौहार॥ 2॥
मथुरा जी की शोभा ना कोई कहि सके जी,
ऐजी जहाँ पै कृष्ण लियौ अवतार॥ 3॥
गोकुल में तो झूले बहना पालनो जी,
ऐजी जहाँ लीला करीं अपार॥ 4॥
वृन्दावन तो बहना सबते हैं बड़ौरी,
एजी जहाँ कृष्ण करे रस ख्याल॥ 5॥
मंदिर-2 झूला बहना मेरी परि गये जी
एजी जामें झूलें नन्दकुमार॥ 6॥
राग रंग तो घर घर है रहे जी,
ऐजी बैकुण्ठ बन्यौ दरबार॥ 7॥
बाग बगीचे चारों लग लग रहे जी,
ऐजी जिनमें पक्षी रहे गुंजार॥ 8॥
मोर पपैया कलरब करत हैं जी,
ऐजी कोई कोयल बोलत डार॥ 9॥
पावन यमुना बहना मेरी बहि रही जी,
ऐजी कोई भमर लपेटा खाय॥ 10॥
ब्रजभूमी की बहना छवि को कहैजी,
ऐजी जहाँ कृष्ण चराईं गाय॥ 11॥
महिमा बड़ी है बहना बैकुण्ठ तै जी,
एजी यहाँ है रहे जै 2 कार॥ 12॥