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क्या कव्वा भी चहचहा रहा था / विष्णु नागर

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उसने कहा -

आज क्या सुबह थी

क्या हवा थी

कितनी मस्ती से पक्षी चहचहा रहे थे

मैंने कहा रुको

क्या तुम्हारा मतलब ये है

कि कव्वे भी चहचहा रहे थे?