भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्या जाने यह रहगीर हैं, रहबर हैं कि रहज़न? / सीमाब अकबराबादी

Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:50, 31 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }}Category:गज़ल <poem> क्या जान...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


क्या जाने यह रहगीर है, रहबर है कि रहज़न?
हम भीड़ सरे-राहगुज़र देख रहे हैं॥

पहले तो नशेमन की तबाही पै नज़र थी।
अब हौसलये-बर्क़ो-शरर देख रहे हैं॥

पूछो मेरी परवाज़ का अन्दाज़ उन्हीं से।
यह लोग जो टूटे हुए पर देख रहे हैं॥