भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खबर नहीं है / रोहित रूसिया
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:17, 19 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोहित रूसिया |अनुवादक= |संग्रह=नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ख़बर नहीं है
फिर भी कितने
बढ़े-चढ़े अ़खबार
मुद्दों के एवज में
छपते ढेरों विज्ञापन
कोने में दुबका
आम आदमी
लेकर खालीपन
फिकर नहीं है
फिर भी कहते
हम हैं पालनहार
एक नेता का
एक पेपर अब
कैसा दौर चला
चौथा खम्भा भी
नांrवों से डगमग
डोल चला
प्रायोजित हैं
सब के सब
और जनता है लाचार
ख़बर नहीं है
फिर भी कितने
बढ़े-चढ़े अ़खबार