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गीत 2 / दोसर अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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केशव! तोहीं पथ बतलावोॅ।
की नै करौं, करौं की माधव! दृष्टिपात करबावोॅ।
युद्ध करब तेॅ हे मधुसूदन कुल हंता जग जानत
युद्ध तजब तेॅ माधव सचमुच लोग नपुंसक मानत
युद्ध जीत कै भी हारब हम, या जीतब, समझावोॅ
केशव! तोहीं पथ बतलावोॅ।
मित जीत में संसारिक सुख, से न शोक हरि पैतै
सात स्वर्ग के सुख से भी नै हमरोॅ शोक नशैतै
की छिक नित्य? अनित्य वस्तु की? से विस्तारि बतावोॅ
केशव! तोहीं पथ बतलावोॅ।
श्री भगवान उवाच-
कहलन कृष्ण सुनोॅ अर्जुन तों नित्य-सत्य के जानोॅ
ब्रह्म सत्य से पृथक न जग में आन सत्य छै मानोॅ
जानोॅ जीवन भी अनित्य छिक, समझि केॅ शोक नशावोॅ
अर्जुन! अब गाण्डीव उठावोॅ।