भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घूर्णन / अशोक कुमार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:48, 15 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी ने कहा-
बायें मुड़
और हम बायें मुड़ गये

किसी ने कहा-
दायें मुड़
और हम दायें मुड़ गये

किसी ने नहीं कहा-
सीधे चल
और हम वहीं रह गये।