भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छत्तीस / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:48, 4 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नजारा भोत है
सबद री मंडी मांय
-बंडी मांय
जे हुवै पावली
तो आपैई जंगळ-मंगळ करै
बडा-बडा दंगळ करै
पछाड़ द्यै दुसम्यां नैं
सबद
-खारा भोत है।