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छुक-छुक गाती / श्रीप्रसाद

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छुक-छुक गाती, बढ़ती जाती रेल हमारी
डिब्बों में बैठी हँसती हर एक सवारी

टिकट दिखाओ, चैकर आया
सबने अपना टिकट दिखाया
बिना टिकट हैं बाबू, दो जुरमाना भारी
छुक-छुक गाती, बढ़ती जाती रेल हमारी
चाय, पान नमकीन, मिठाई
गरम समोसे देना भाई

रेल रुकी, स्टेशन पर भीड़ बढ़ रही सारी
छुक-छुक गाती, बढ़ती जाती रेल हमारी
पर किये घर, गाँव, बगीचे
पार किये पुल ऊँचे-नीचे
पार किये फिर खेत जहाँ हरियाली प्यारी
छुक-छुक गाती, बढ़ती जाती रेल हमारी

कलकत्ते से काशी आती
कानपुर दिल्ली पहुँचाती
होड़ हवा ने की, लेकिन बेचारी हारी
छुक-छुक गाती, बढ़ती जाती रेल हमारी
चली कोयला खाती-खाती
रुक-रुक पानी पीती जाती
इसके आगे किसको भाती, मोटर लारी
छुक-छुक गाती, बढ़ती जाती रेल हमारी।