भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छोट मुट गछिआ सखुअवा / भोजपुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:10, 21 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
छोट मुट गछिआ सखुअवा, जरिय गइले भहराई।
ताही तर निकले देवतवा, सब देव गइले उपराई।।१।।
एक दुइ देखेले, देसवा भइ गइले सोर नु हे।।२।।
अच्छत चन्नन पूजलन हे, वही पचलद जी के घार।
बाढ़ गोसाईं भक्ति बाढ़े, ब्राह्म लिहल अवतार।।३।।