भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगळी / अशोक परिहार 'उदय'

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक परिहार 'उदय' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

म्हूं जंगळाती
आप जंगळी ई कैय सको
बसूं-खसूं जंगळां में
थूं देख म्हारी हथाळयां
कित्तो है कंवळोपण
म्हैं पण घडूं
काठ रा काठिया-कडिय़ा
जणां ई देख
हथळयां में ऊग्या है
रूंख री ठोड़ आयठण।