भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जय वसुदेव-देवकी-नन्दन / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:10, 9 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जय वसुदेव-देवकी-नन्दन, ब्रजपति नन्द-यशोदा-लाल।
जय मुष्टिक-चाणूर-विमर्दक, जय कुवलया-कंसके काल॥
जय नरकासुर-केशि-निषूदन, जरासंध-‌उद्धारक श्याम।
जयति जगद्‌‌गुरु, गीता-गायक, अर्जुन-सारथि-सखा, ललाम॥
जय अनुपम योद्धा, लीलामय, योगेश्वर, ज्ञानी, निष्काम।
जय धर्मज्ञ, धर्म, वरदायक, शुचि सुखदायक शोभाधाम॥
जय सर्वज्ञ, सर्वमय शाश्वत, सर्वातीत, सर्वविश्राम।
जयति परात्पर, लोक-महेश्वर, गुणातीत, चिन्मय गुण-धाम॥