भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवण : धुखतो छाणो / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:49, 20 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री आँख सूं / सांवर दइया }} [[Ca…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नित लावणो
नित खावणो
टींगरां रै मूत सूं
    गिंधावतो बिछावणो
छीजतै जोबन रो
गरमास लेवण मिस
सो जावणो
थाकैलो उतारणो
भळै पछतावणो
आयै बरस
आंगणै में नुंवो पावणो
कदैई रोवणो
कदैई गावणो
चांचड़ देवणियो ई
चुग्गो देसी
आ सोच मन बिलमावणो

म्हारी इण
सांतरै तुकां आळी
आडी रो अरथ पिछाणो
ऐड़ो जीवण
…………..?