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डुखियो आहे / अर्जुन हासिद

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पखियुनि परिन्दनि जो बि पंहिंजो वहिंवा
हवाउनि खे बि पिया छेड़ीन्दा।

सुबूह सवेल
बस पकिड़ण लाइ तकिड़ो तकिड़ो वेन्दी आहे
वार पिया उॾामानिसि
रओ पिए हर हर ठाहियाईं
हीर पिए चुरिचूं कयसि

रोज़ जी ॻाल्हि आहे
प्रकृतीअ खे बि पंहिंजो हॻाउ
हू ब हू हुन जहिड़ो
जेसताईं शहर पहुचे
रोज़ जी टेबुल ते अची विहे
पोइ त बसि इएं
चांहिं जो गरम कोपु
ऐं वहिंवारनि जा चेहरा
पखियुनि खे सुञाणणु
ॾाढो डुखियो आहे