भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तोहे सुमिरौं कर जोर कालिके / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:25, 14 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अंगिका }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तोहे सुमिरौं कर जोर कालिके तोहे सुमिरौं
हाँ हाँ कालिके तोहे सुमिरौं अरे हाँ हाँ कालिके तोहे सुमिरौं
तोहे सुमिरौं
तोहे सुमिरौं कर जोर कालिके तोहे सुमिरौं

हाथ खड़ग अरु खप्पर राजै मंुडमाल लटकाए
मैया मंडमाल लटकाए
लाल जीहवा लप लप लपके तीनों लोक डराए
कालिके तोहे सुमिरौं
तोहे सुमिरौं
तोहे सुमिरौं कर जोर कालिके तोहे सुमिरौं

सुंभ निसुंभ दानव तुम मारे रक्तबीज संहारे
मैया रक्तबीज संहारे
महिषासुर को मार मार के जगजननी कहलाए
कालिके तोहे सुमिरौं
तोहे सुमिरौं
तोहे सुमिरौं कर जोर कालिके तोहे सुमिरौं