भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दण्डित होने के लिए / शलभ श्रीराम सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:43, 24 दिसम्बर 2009 का अवतरण ("दण्डित होने के लिए / शलभ श्रीराम सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फिर-फिर किया गया प्यार
फिर-फिर दण्डित होने के बावजूद

चिड़िया का बच्चा बना रहा
शरारत-पसंद लोगों के हाथ में
उम्र भर।

फिर-फिर दण्डित होने के लिए
फिर-फिर करता रहा प्यार
जीता रहा इस उम्मीद में
कि थकान शायद
शरारत की शक्ल को बदले
या फिर अक्ल ही बदल जाए मेरी
उम्र के साथ।

नहीं हुआ ऐसा कुछ भी अब तक
फिर-फिर किया गया, किया गया प्यार
फिर-फिर दण्डित होने के लिए।


रचनाकाल : 1991, विदिशा