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दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे बाबा खड़े रोवें
दादी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे पापा खड़े रोवें
मम्मी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे जीजा खड़े रोवें
दीदी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे भईया खड़े रोवें
भाभी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,