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नएं सिर / श्याम जयसिंघाणी

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काफ़ी अरसो लीकूं
खेंचण-डाहिण में गुज़ारे
तंग थी मूं शाही रस्ते ते अची ॾिठो
मुंहिंजा सभु हमराह
गूंगा ऐं ॿोड़ा हुआ
मांरस्ते जी अखुट लंबाईअ खां
दहिलजी वियुसि।
हिरास में तकड़ो तकड़ो वधन्दे
रस्ते जी लंबाई बि
वधन्दी पातमि
हथ में झलियल
धाॻे जो रीलु खोलीन्दे
पुठियां निहारे कंबी वियुसि
गूंगनि ॿोड़नि हमराहनि
धाॻे जो सिलसिलो छिनी
तइ कयल राह मां मुंहिंजो
ताल्लुकु कटेछॾियो हो
बचियल धाॻे सां ज़बान कपे
कननि में राह जी मिटी भरे
मां हमराहनि जो
हमराहु बणिजी पियुसि।

(विछोटियूं- 1980)