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नानो म्हारो नानो म्हारो करती थी घींव घड़ा मऽ भरती थी / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नानो म्हारो, नानो म्हारो करती थी घींव घड़ा मऽ भरती थी।
घींव का घड़ा न कोरा छे, नाना का मामाजी गोरा छे।
नानो म्हारो जीमऽ तवंऽ कसो करां, अम्बा रोटी रसऽ करां
रस मंऽ पड़ी गयो काकरियो, नाना का मामाजी ठाकरियो।
ठाठ करऽ, ठकराई करऽ, नानो म्हारो बठी नऽ राज कर।
राज करी नंऽ परवारऽ नी, नाना की मांय धवाड़ऽ नी।
हात रे भाई रे!