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पन्द्रह / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

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चैत हे सखी शुभ रामनवमी, लाले लाले ध्वजा फहराय हे
नौ दिन नौ रूपो मेॅ, पूजै भवानी, दसमी दसमुखी केॅ विदाय हे।

बैसाख हे सखी छर छर पसीनवा, बूझै नै बतिया मोर हे
पतिया मेॅ लिखी लिखी, भेजै सनेसवा, तारा गनैतेॅ हुवै भोर हे।

जेठ हे सखी पशु पक्षी बेल वृक्ष, गजुरै लेॅ तृण बेहाल हे
चर अचर संभे प्राणी, जल बिनु तलफल दादुर मीना ताल हे।

अषाढ़ हे सखी अंग बहिनिया, नगवा नगिनिया मनाय हे
लावा दूधो सेॅ, विषधर पुजावै, बंशौरी रीत निम्हाय हे।

सावन हे सखी सप्तमी शुक्ला, मूला नक्षत्र तुलसी दास हे
कासी असी घाट, कृष्णा तृतीया, तुलसी के हंसा अकास हे।

भादो हे सखी जसोदा गरभ सें, योगमाया अवतार हे
बसुदेव के माथा चढ़ी, गोकुल सें मथुरा कंसा पटकनिया सेॅ पार हे।

आसिन हे सखी पंच महाशक्ति, सबके सब जग मेॅ पुज्यनीय हे
लक्ष्मी सरस्वती, दुर्गा माय काली, तारा के रूप वन्दनीय हे।

कातिक हे सखी कंचन काया, अन्न धन जीवन दान हे
अचल अहिवात सुन्दर, कोखी के फूलवा, छठी मैया दे देॅ वरदान हे।

अगहन हे सखी लागलै कटनिया, कंगन बोलै छै ऊँचे बोल हे
कूटै छाँटे चुनै, फटकै झटकै छै, ओली पैंची डोकी तौल हे।

पूस हे सखी थर थर परनमा, चुन मुन चिरैइयाँ मंझान हे
मछुआ के जाल आरो कसबा के कोल्हू कोहरा के संग लिपटान हे।

माघ हे सखी कमल आसन, शोभै सरस्वती माय हे
चन्दन तिलक अच्छत, कुंदो के माला, वाग्देवी वर दाय हे।

फागुन हे सखी ललहौनो दिनमा, खिललै पलासो के फूल हे
सबके चुनरिया पर, टेसू के फूलवा, हमरो तेॅ डुमरी के फूल हे।