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पहला सूरज / मरीना स्विताएवा

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ओ, पहले माथे के ऊपर के पहले सूरज।
सूरज की ओर धुआँ छोड़ती
बंदूक की दो नालियों-सी
ये विशाल आँखें आदम की।

ओ पहली ख़ुशी
ओ बाँये पक्ष के पहले सर्पदंश।
ओ, ऊँचे आकाश पर नज़र गड़ाए
हौवे की झलक पाते आदम।

उच्च आत्माओं के जन्मजात घाव-
ओ मेरी ईर्ष्या, मेरी जलन।
ओ मेरे सब आदमों से अधिक जीवन्त पति
ओ प्राचीनों के निरंकुश सूरज।

रचनाकाल : 10 मई 1921

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह