भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहाड़-1 / विजय गौड़

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:02, 18 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय गौड़ |संग्रह=सबसे ठीक नदी का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
जैसे भूल जाए कोई
अपनी भूमि और जड़
इस बाज़ारू दुनिया में
रख दे गिरवी
अपनी भुजाएँ, टाँगें और धड़
ऐसे में
रसूल हमजातोव का दागिस्तान
कैसे होगा ज़िन्दा?