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फेर कहां जयबै ललन ससुररिया छोड़ि / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

फेर कहां जयबै ललन ससुररिया छोड़ि
कहां जयबै ललन परदेशिया
पूसहि मास प्रिय राति अन्हरिया
तोहरो नुकायब कोठरिया
कहां जयबै ललन परदेशिया
माघहि मास प्रिय जाड़क दिनमा
तोहरो ओढ़ायब चदरिया
कहां जयबै ललन परदेशिया
फागुन मास प्रिय होरिक दिनमा
रंग भरि मारब पिचकरिया
कहां जयबै ललन परदेशिया
चैतहि मास प्रिय चित्त सुधारब
दुहु मिलि गहब पलंगिया
कहां जयबै ललन परदेशिया